प्यार की परिभाषा सभी के लिए अलग है,
किसी के लिए प्यार, किसी से रोज बात करना है
किसी के लिए प्यार, किसी को सिर्फ देखना है
किसी के लिए प्यार, किसी की खुशी है
तो किसी लिए प्यार, दूर होकर भी पास होना है
Lets listen to Nitin Jain as he talks about ‘Pyaar ke 5 padaav’; jhukaav, judaav, algaav, badlav, sambhaav !
Transcript:
चलिए बात की शुरुआत तो हुई,
कुछ कहानियां, कुछ क़िरदार हुए साकार,
कुछ बातें बनी और कुछ बनते बनते बन जाएगी..
कुछ ख़ास दोस्तों ने की है,
पिछले कुछ दिनों में आपसे बात..
बात इंसानो की और बेजुबानों की,
ज़माना Mobile और mobile ज़माने की,
आपको है अब किसका इंतज़ार..
मौसम है, प्यार का, इज़हार का, इकरार का,
पहले crush से happily ever after का…
कुछ बिना कहे समझने का,
और समझते हुए भी, नासमझ रहने का।
अक्सर लोग पूछते है,
प्यार क्या होता है, प्यार कैसे होता है..
खैर प्यार की सबकी अपनी परिभाषा है..
प्यार के अपने अनुभव को
मैंने कुछ शब्दों में ढाला है..
तो सुनो..
प्यार के पांच पड़ाव जी, जो तर जाए वो पूरा हो जाए..
पहला झुकाव, किसी को देख सुन, मन में हो हाव भाव,
दूसरा जुड़ाव, लगे ऐसा, एक दूजे के पूरक है जैसा,
तीसरा अलगाव, हम पर जब अहम् पड़े भारी,
चौथा बदलाव, करे स्वीकार या हो जाए समानांतर,
पाँचवा समभाव, तुममें मैं और मुझमें तुम का एहसास ।
आप भी Share करिये
अपने प्यार की बात..
क्योंकि के अगले १० अध्याय है,
सिर्फ प्यार के नाम ..
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आपकी बात, आपके साथ